बेवफा शायरी   इन हिंदी

बेवजह कोसते रहे हम उन्हें बेवफा कहकर, शायद हमारी ही वफ़ा में कोई कमी रह गयी होगी।

महफ़िल बेवफाओं की लगती है, वफ़ाओं को कौन याद रखता है

तेरे आने से पहले तेरे कदमों की आहट जान लेते हैं, ऐ बेवफा हम आज भी तुझे दूर से ही पहचान लेते है

हर रोज़ पढ़ रहा हूं उनके वो पुराने ख़त जनाब, और वो हमें सरेआम बेवफ़ा क़रार कर चुके हैं

तेरे होते हुए भी तन्हाई मिली है, वफ़ा करके भी देखो बेवफाई मिली है

इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएं, क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएं

जो कहते हैं वो कभी किया नहीं करते, वो बेवफा है साहब... किसी पे मरा नहीं करते।

अपने गुरूर को आजमाने की जिद थी.वरना हमें मालूम था की तुम बेवफा हो जाओगे