Very Sad Shayari 

कुछ लोग मुझे अपना कहा करते थे साहब ! सच में वो लोग सिर्फ कहा ही करते थे !!

मैं उस किताब का आख़िरी पन्ना था, मैं ना होता तो कहानी ख़त्म न होती

किसी ने धूल क्या झोंकी आखों में, पहले से बेहतर दिखने लगा है

तमाशा न बना मेरी मोहब्बत का कुछ तो लिहाज़ कर अपने किए वादों का

लाख करो गुज़ारिशें लाखों दो हवाले, बदल ही जाते हैं आखिर बदल जाने वाले..!!!

सूखे पत्तों की तरह बिखरे हैं हम तो किसी ने समेटा भी तो सिर्फ जलाने के लिए !!

चाह कर भी पूछ नहीं सकते हाल उनका !! डर है कहीं कह ना दे कि ये हक तुम्हें किसने दिया !!

कुछ ऐसे हादसे भी ज़िन्दगी में होते है  इन्सान बच तो जाता है पर जिंदा नही रहता