हिंदी शायरी   दो लाइन

दर्द की भी अपनी एक अदा है ये तो सहने वालों पर ही फ़िदा है।

राज ज़ाहिर ना होने दो तो एक बात कहूँ  मैं धीरे- धीरे तेरे बिन मर जाऊँगा ..

तमाशा न बना मेरी मोहब्बत का कुछ तो लिहाज़ कर अपने किए वादों का..

उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी।।

सुना है के तुम रातों को देर तक जागते हो यादों के मारे हो या मोहब्बत में हारे हो...

इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया ए-ज़िन्दगी चलने का न सही, सम्भलने का हुनर तो आ गया।

जिसके लिए तोड़ दी मेंने सारी सरहदें..  आज उसी ने कह दिय ज़रा हद में रहा करो

हमें कहां मालूम था कि इश्क होता क्या है, बस एक 'तुम' मिले और जिंदगी मोहब्बत बन गई