सफ़र पर शायरी 

Safar Per Shayari

एक सफ़र वो है जिस में पाँव नहीं दिल दुखता है आगाह देहलवी..

"ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा..!!"

"मंजिल बड़ी हो तो सफ़र में कारवां छूट जाता है, मिलता है मुकाम तो सबका वहम टूट जाता है..

"इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई हम न सोए रात थक कर सो गई - राही मासूम रज़ा..

"मुझे ख़बर थी मेरा इन्तजार घर में रहा, ये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा.

"हो जायेगा सफ़र आसां आओ साथ चलकर देखें, कुछ तुम बदलकर देखो कुछ हम बदलकर देखें

"सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो - निदा फ़ाज़ली..

मुसाफ़िरत का वलवला सियाहतों का मश्ग़ला जो तुम में कुछ ज़ियादा है सफ़र करो सफ़र करो