Sad Shayari
आज कल वो हमसे डिजिटल नफरत करते हैं, हमें ऑनलाइन देखते ही ऑफलाइन हो जाते हैं
बेवफा लोग बढ़ रहे हैं धीरे धीरे, इक शहर अब इनका भी होना चाहिए…
तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरे । उतनी ही तकलीफ देते हैं जितनी बर्दास्त कर सकूँ
मेरी हर आह को वाह मिली है यहाँ….. कौन कहता है दर्द बिकता नहीं है !
तुमने समझा ही नहीं और ना समझना चाहा, हम चाहते ही क्या थे तुमसे “तुम्हारे सिवा
क्या बात है, बड़े चुपचाप से बैठे हो. कोई बात दिल पे लगी है या दिल कही लगा बैठे हो
किसी को न पाने से जिंदगी खत्म नहीं होती लेकिन किसी को पाकर खो देने से कुछ बाकी भी नहीं रहता|
वो छोड़ के गए हमें, न जाने उनकी क्या मजबूरी थी, खुदा ने कहा इसमें उनका कोई कसूर नहीं, ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी.