Sad Dard Bhari Shayari 

बेनाम आरजू की वजह ना पूछिए, कोई अजनबी था रूह का दर्द बन गया

दर्द देने का तुझे भी शौक़ था बहुत और देख हमने भी सहने की इन्तेहा कर दी

जो आपकी ख़ुशी छीन ले उसके पीछे रोने का कोई फायदा नहीं

मुझे रुलाने की कोशिश भी मत करना मेरी परवरिश ही दर्द ने की है

जिनपे होता है दिल को भरोशा वक़्त पड़ते ही वही लोग दगा दते है

आते जाते रहा कर ए दर्द तू तो मेरा बचपन का साथी है

तेरे शलूक से कोई सिकायत नही कसम से मेरे अन्दर ही शायद कोई कमी होगी

मैं बुरा कैसे बन गया ? दर्द लिखता हूँ किसी को देता तो नहीं