Pyar Bhari
Shayari
अगर प्यार है तो फिर शक़ कैसा और नहीं है तो फिर हक़ कैसा
मैं दिन को कहुँ रात वो इकरार करे मेरी हसरत है के कोई यूँ भी मुझे प्यार करे
प्यार दिल में इतना है के सागर भी गहरा नहीं
कुछ नशा तेरी बात का है कुछ नशा धीमी बरसात का है हमे तुम यूँही पागल मत समझो ये दिल पर असर पहली मुलाकात का है
वजह पूछोगे तो सारी उम्र गुजर जाएगी… कहा ना अच्छे लगते हो तो,बस लगते हो
अय दिल ये तूने कैसा रोग लिया, मैंने अपनों को भुलाकर एक गैर को अपना मान लिया
आकर ज़रा देख तो तेरी खातिर हम किस तरह से जिए आंसु के धागे से सीते रहे हम जो जख्म तूने दिए
अमल से भी मांगा वफा से भी मांगा, तुझे मैंने तेरी रज़ा से भी मांगा, न कुछ हो सका तो दुआ से भी मांगा, कसम है खुदा की खुदा से भी मांगा।
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