New Attitude Shayari 

पूरा न कर सकूँ ऐसा वादा नहीं करता, दावा कोई औकात से ज्यादा नहीं करता।

किसकी मजाल थी जो हमको खरीद सकता था, हम तो खुद ही बिक गए हैं खरीदार देख कर।

चलो आज फिर थोड़ा सा मुस्कुराया जाये, बिना माचिस के कुछ लोगो को जलाया जाये।

आदतें बुरी नहीं शौक ऊँचे हैं, वरना किसी ख्वाब की इतनी औकात नहीं कि हम देखे और वो पूरा ना हो।

मुझको मेरे वजूद की हद तक न जानिए, बेहद हूँ बेहिसाब हूँ बेइन्तहा हूँ मैं।

बिखर जाएँ टूटकर हम वो पत्ते नहीं,हवाओं से कहो कि अपनी औकात में रहें।

हम बसा लेंगें एक दुनिया किसी और के साथ, तेरे आगे रोयें अब इतने भी बेगैरत नहीं हैं हम।

बस दीवानगी की खातिर तेरी गली में आते हैं, वरना आवारगी के लिए तो सारा शहर पड़ा है।