मां के लिए शायरी
हजारों गम हो फिर भी मैं खुशी से फूल जाता हूं जब हंसती है मेरी मां मैं हर गम भूल जाता हूं
मेरी मां आज भी अनपढ़ ही है रोटी एक मांगता हूं वह दो लाकर देती है
मां की तरह कोई और ख्याल रख पाए यह तो बस ✧ खयाल ही हो सकता है
जो मांगू वो दे दिया कर ए जिंदगी तू मेरी मां जैसी बन जा
एक अच्छी मां हर किसी के पास होती है लेकिन एक अच्छी औलाद हर मां के पास नहीं होती
है एक पल जो हरदम सवार रहता है मां का प्यार है सब पर उधार रहता है
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में मां आई
यह कैसा कर्ज है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता मैं जब तक घर न लौटने मेरी माँ सजदे में रहती है