Maa Par Shayari
कहां होता है इतना तजुर्बा किसी हकीम के पास आवाज सुनकर बुखार नाप लेती है मां
उम्र तो बस मां के पेट में ही बढ़ती है बाकी जिंदगी mai तो बस उम्र घटती है
दवा असर ना करें तो नजरें उतारती है वह मां है जनाब कहां हार मानती है
मेरी मां का हाथ चूम लेता हूं इसी बहाने जन्नत घूम लेता हूं
खुद को संवारने की कहां उसे फुर्सत होती है मां फिर भी बहुत खूबसूरत होती है
दुनिया की सारी चालाकी भले ही सीख ली मैंने मगर मेरी मां के लिए अब भी मैं मासूम बहुत हूं
मां ने सर पर हाथ रखा तब चैन मिला बीमारी में अब पता चला कि एक मसीहा भी रहता है घर की चारदीवारी में
मां सब की जगह ले सकती है लेकिन कोई मां की जगह नहीं ले सकता
मां सब की जगह ले सकती है लेकिन कोई मां की जगह नहीं ले सकता