Ishq Shayari

मुक़म्मल ना सही अधूरा ही रहने दो  ये इश्क़ है कोई मक़सद तो नहीं

इश्क का तो पता नहीं पर जो तुमसे है वो किसी और से नहीं

अब छोड़ दिया है “इश्क़” का  स्कूल”हमने भी हमसे अब मोहब्बत” की “फीस” अदा नही होती

इश्क़ की कोई मंजिल नहीं होती बस सफर ही खूबसूरत होता है

वो अच्छे हैं तो बेहतर है बुरे हैं तो भी कुबूल  मिजाज-ए-इश्क में  ऐब-ओ-हुनर देखे नहीं जाते

इश्क़ एक सच था तुझसे जो बोला नहीं कभी  इश्क़ अब तो वो झूट है जो बहुत बोलता हूँ मैं

सस्ता सा कोई इलाज बता दो इस मोहब्बत का एक ग़रीब इश्क़ कर बैठा है

इश्क न हुआ कोहरा हो जैसे तुम्हारे सिवा कुछ दिखता ही नही