इश्क और चाय शायरी

सुबह की चाय और बड़ो की राये, समय समय पर लेते रहना चाहिए।

हर रिश्ता प्यार वाला हो जरुरी नहीं कुछ रिश्ते चाय वाले भी होते है

हर घुट में तेरी याद बसी है कैसे कह दूँ चाय बुरी हैं

गरम चाय हो और चाय की प्याली हो कोई खूबसूरत हसीना पिलाने वाली हो

जितना अच्छा तुम मुंह बनती हो काश तुम चाय भी उतना ही अच्छा बनाती

हाथ में चाय और यादों में आप हो, फिर उस खुशनुमा सुबह की क्या बात हो।

चाय पर चर्चा और चाय पर खर्चा कभी जाया नहीं जाता

मेरे जज्बातों का कोई तो सिला दो कभी घर बुला के चाय तो पिला दो