Hindi Shayari
Bewafa
फिर निकलेंगे तलाश-ए-मोहब्बत के लिए, कोई बेवफा न मिले दुआ करना दोस्तों
ये शायरी की महफ़िल बनी है आशिकों के लिये, बेवफाओं की क्या औकात जो शब्दों को तोल सके।
न मैं शायर हूँ न मेरा शायरी से कोई वास्ता, बस शौक बन गया है उसकी बेवफाई बयाँ करना।
ये ख्याल भी अच्छा है बफादार हो तुम, बेवफा हम हैं इलज़ाम भी कम नहीं
समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से, अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी
बेवफा दुनिया में कौन सारी जिंदगी साथ देगा तेरा, लोग तो दफना कर भूल जाते हैं कि कब्र कौन सी थी
मैं रोकना ही नहीं चाहता था वार उसका, गिरी नहीं मेरे हाथों से ढाल वैसे ही
वफ़ा करने से मुकर गया है दिल, अब प्यार करने से डर गया है दिल, अब किसी सहारे की बात मत करना, झूठे दिलासों से भर गया है अब यह दिल।