Dhoka Shayari 

काँच जैसे होते है हम जैसे तनहा लोग कभी टूट जाते है कभी तोड़ दिए जाते है

माना की हम गलत थे जो तुझसे चाहत कर बैठे पर रोओगे तुम भी ऐसे वफ़ा की तलाश में

नाराज़ क्यों होते हो? चले जाएंगे तुम्हारी महफ़िल से, लेकिन पहले मुझे मेरे दिल के टुकड़े तो उठा लेने दो।

इश्क़ था इसीलिए खोने से डरते थे, बस आदत होती तो छूट ही जाती, खामखां इतने उलझे ना होते।

कुर्बान हो जाऊं उस सख्स के हाथों की लकीरों पर जिसने तुझे माँगा भी नहीं और तुझे अपना बना लिया

ज़नाज़ा इसलिए भारी था उस गरीब का वो अपने सारे अरमान साथ लेकर गया था

मेरी कोशिश हमेशा से ही नाकाम रही पहले तुझे पाने की अब तुझे भुलाने की

काश चाहने वाले हमेशा चाहने वाले ही रहते पर लोग अक्सर बदल जाते है मोहब्बत हो जाने के बाद