Dard Bhari Shayari

कोई और गुनाह करवा दे मुझ से मेरे खुदा, मोहब्बत करना अब मेरे बस की बात नहीं ।

अफसोस ना कर वो था ही नहीं तेरे लिए, अगर था तो बस एक “सबक”

तेरे बगैर किसी और को देखा नहीं मैंने सूख गया तेरा गुलाब मगर फैंका नहीं मैंने

फरक तो उन्हें पड़ता है जिनके पास एक हो उन्हें क्या फरक पड़ता है जिनके पास हज़ारो हो

इतना भी मत बदल जाना की तेरे अपने भी तुझे छोड़ दे

मुझे मुरदा समझ कर रो ले अब अगर मै ज़िंदा हूँ तो तेरे लिए नहीं हूँ

ऐ खुदा तुझसे एक सवाल है मेरा उसके चेहरे क्यूँ नहीं बदलते  जो इंसान ”बदल” जाते है

इश्क करते है तुमसे इसलिए खामोश है अब तक खुदा न करे मेरे लब खुले और तुम बर्बाद हो जाओ