चाय 

पर शायरी हिंदी में

हाथ में चाय और यादों में आप हो, फिर उस खुशनुमा सुबह की क्या बात हो।

हलके में मत लेना तुम सावले रंग को दूध से कहीं ज्यादा देखे है मैंने शौक़ीन चाय के।

माँ के हाथ की बनी चाय पीये हुए कई साल गुज़र गए, चाय का वो स्वाद तो मिल गया लेकिन वो प्यार नहीं।

एक तेरा ख़्याल ही तो है मेरे पास, वरना कौन अकेले में बैठ कर चाय पीता है।

हर रोज़ होता है मुझे इश्क़ तुमसे, तुम मेरी सुबह की पहली चाय से हो गए हो।

मेरे चाय पीने का कोई वक़्त तो नहीं हैं परंतु चाय पीते वक़्त तुम्हारी याद जरूर आती हैं।

 हम तो निकले थे मोहब्बत की तलाश में, सर्दी बहुत लगी चाय पीकर वापस आ गये।

तेरे लबों पर लगी चाय पीना चाहता हूँ, दो पल की जिंदगी तेरे साथ जीना चाहा हूँ.