चाय और दोस्ती     पर  शायरी

चाय की चुस्की के साथ अक्सर कुछ गम भी पीता हूँ मिठास कम है, जिंदगी में मगर जिंदादिली से जीता हूँ

बस चाय का सहारा है वरना कौन हमारा है

दर्द क्या होता है,, उससे पूछो जिसका बिस्किट,, चाय में गिर गया हो

दस्ती उसी से करो जो तुम्हे हर मुलाकात पर चाय पिलाये

आओ न सुबह की चाय पिलाते हैं मीठे में शक्कर की जगह इश्क मिलाते हैं

शाम कितनी हि बोझल और उदास हो चाय मिलते ही बेहतर लगने लगती है

दोस्त ऐसा हो जो बिना कहे चाय पिलाए

मेरी एक ख्वाहिश पूरी हो जाए किसी शाम एक कप चाय तुम्हारे साथ हो जाए