हिंदी में लिखी हुई 

दुखद शायरी

तेरे लिए लड़ लिए सबसे, लेकिन हम हार गये अपने नसीब से.

दो पल को ही सही पर मेरी तन्हाइयो में खो जाओ, मैं तेरा और तुम मेरी दो पल के लिए हो जाओ.

दुआ करना दम भी उसी तरह निकले, जिस तरह तेरे दिल से हम निकले.

कोई मरतो नही जाता इश्क-ए-जुदाई में, लेकिन जी भी तो नही पाता है जिंदगी की तन्हाई में.

तेरे लिए लड़ लिए सबसे, लेकिन हम हार गये अपने नसीब से.

तुझे दर्द देने का शौक था बहुत, हमे भी दर्द सहने का शौक था बहुत.

कुछ लोग मुझे अपना कहा करते थे साहब ! सच में वो लोग सिर्फ कहा ही करते थे !!

मैं उस किताब का आख़िरी पन्ना था, मैं ना होता तो कहानी ख़त्म न होती