दर्द भरी  बेवफा शायरी 

वफादार और तुम? ख्याल अच्छा है, बेवफा और हम? इल्जाम भी अच्छा है।

हर किसी की जिंदगी का एक ही मकसद है,  खुद भले हों बेवफ़ा लेकिन तलाश वफ़ा की करते है।

पूछते है सब जब बेवफा था तो उसे दिल दिया ही क्यों, किस किस को बतलाये उस शख्स में बात ही कुछ ऐसी थी दिल नहीं देते तो जान चली जाती

मज़बूरी में जब कोई जुदा होता है, ज़रूरी नहीं कि वो  बेवफ़ा होता है, देकर वो आपकी आँखों में आँसू, अकेले में वो आपसे ज्यादा रोता है।

चलो छोड़ो ये बहस कि वफ़ा किसने की और  बेवफा कौन है? तुम तो ये बताओ कि आज 'तन्हा' कौन है।

वफ़ा निभा के वो हमे कुछ दे ना सके पर बहुत कुछ दे गये जब वो बेवफा हुए।

तुम अगर याद रखोगे तो इनायत होगी, वरना हमको कहां तुम से शिकायत होगी, ये तो बेवफ़ा लोगों की दुनिया है, तुम अगर भूल भी जाओ जो रिवायत होगी।

जो एक बेवफा से प्यार किया था, न जाने क्या है उसकी उदास आंखों में, वो मुँह छुपा के भी जाये तो बेवफा न लगे।