Bewafa Shayari  

कोई नहीं याद रखता वफ़ा करने वालों को, हमारी मानो बेवफा हो लो जमाना याद रखेगा

मेरी तलाश का जुर्म है या मेरी वफा का क़सूर,जो इस दिल के करीब आया वही बेवफा निकला

मुझे भी शौक़ ना था दास्ताँ सुनाने का, मोहसिन उस ने भी पूछा था हाल वैसे ही

मजाक तो मैं बाद में बना, पहले तो उसने मुझे अपना बनाया था

मेरा प्यार सच्चा था इसलिए तुझे सोचता हूँ, तेरी बेवफाई सच्ची हो तो यादों में ना आना।

जिगर हो जायेगा छलनी आँखें खूब रोयेंगीं, बेवफा लोगों से निभा कर के कुछ नहीं मिलता।

मिला के खाक में दिल को वो इस अंदाज़ में बोले, मिट्टी का खिलौना था कहाँ रखने के काबिल था

कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी, कभी याद आकर उनकी जुदाई मार गयी,  बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने, आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी