Attitude
Shayari
जब इश्क करता हूँ मैं तो टूट कर करता हूँ, ये काम मुझे जरूरत के हिसाब से नहीं आता।
रहते हैं आस-पास ही, लेकिन साथ नही होते, कुछ लोग जलते हैं मुझसे, बस खाक नही होते।
जब हमसे बात करोगे तभी औकात समझ पाओगे, दूर से अनदेखा करोगे तो कैसे औकात समझ पाओगे।
आग लगाना मेरी फितरत में नही है, मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर
देखकर किया करो लोगो से मेरी बुराई तुम्हारे तमाम अपने मेरे ही मुरीद हैं
जैसे हर सवाल का जवाब नही होता, वैसे ही हर इंसान हमारी तरह नवाब नही होता।
बारिश मे छुपने को घोंसला नहीं ढूंढा करते हैं, हम आसमां मे तब भी बेख़ौफ़ उड़ा करते हैं।
पूरा न कर सकूँ ऐसा वादा नहीं करता, दावा कोई औकात से ज्यादा नहीं करता।
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