आंसू शायरी

आँसू कभी पलकों पर बहुत देर नहीं रुकते, उड़ जाते हैं पंछी जब शाख़ लचकती है

किसी को बताने से मेरे अश्क़ रुक न पायेंगे, मिट जायेगी ज़िन्दगी मगर ग़म धुल न पायेंगे

तैयार रहते हैं आँसू मेरी पलकों पे अक्सर, तेरी यादों का कोई वक़्त मुक़र्रर जो नहीं है

म्हारी याद में आँसू बहाना यूँ भी ज़रूरी है, रुके दरिया के पानी को तो प्यासा भी नहीं छूता

मुझे मालूम है तुमने बहुत बरसात देखी है, मगर मेरी इन्हीं आँखों से सावन हार जाता है

मेरे आँसू की कीमत जो समझ ली उन्होंने, उन्हें भूलकर भी मुस्कुराते रहे हम

मेरी आँखों से गिरे हैं चन्द लम्हे, तेरे लिये हैं ये पानी, मेरे लिये हैं आँसू

वो अश्क़ बन के मेरी चश्म-ए-तर में रहता है, अजीब शख़्स है पानी के घर में रहता है