दो लाइन बेहतरीन         शायरी >>>

गुजर गई है मगर रोज याद आती है वह एक शाम जिसे भूलने की हसरत है मुझे

यह जिंदगी मुझसे आजकल नाराज रहती है कितनी भी दवाइयां खाऊं तबीयत खराब ही रहती है

इज्जत की तो बात ही छोड़ दो इस जमाने में मैंने कहा वह बहन है मेरी लोगों ने पूछा सगी है

अब क्यों लगता है ठोकर मुझे अब तो चप्पल भी मैं सीधा पहनता हूं

बहुत महंगा पड़ता है वह रिश्ता जिसमें खुद को सस्ता कर दिया जाता है

मेरा गम जानते हैं सिर्फ दो लोग एक मैं और एक आईने में वह शख्स

हम इतने भी खुश नहीं रहते जितनी नजर आते हैं

जरूरी नहीं के साथ रहे बस जहां रहे खुश रहे