वो कही भी गया लौटा तो मेरे पास आया
बस यही बात अच्छी है मेरे हरजाई की
कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उसने
बात तो सच है मगर बात है रूसवाई की

सदा-ए-दिल जो तुम सुन सको तो
हर लफ्ज़ हर सफा समझ सको तो
कैसे गुजरती है तन्हाई मुझ पर
मेरी निगाहों की बेताबी पढ़ सको तो

लगता है आज जिंदगी कुछ ख़फ़ा है
चलिये छोड़िये कौन सी पहले दफा है

कुछ गैर मुझे ऐसे मिले जो मुझे अपना बना गए, और कुछ अपने ऐसे मिले जो मुझे गैर का मतलब बता गए।


दिल मे आरज़ू के दिये जलते रहेगे
आँखों से मोती निकलते रहेगे
तुम शमा बन कर दिल में रोशनी करो,
हम मोम की तरह पिघलते रहेंगे


कुछ गम कुछ ठोकरें कुछ चीखें उधार देती है
कभी कभी जिंदगी मौत आने से पहले ही मार देती है


तुम अगर याद रखोगे तो इनायत होगी
वरना हमको कहाँ तुम से शिकायत होगी
ये तो वही बेवफ़ा लोगों की दुनिया है
तुम अगर भूल भी जाओ जो कौन सी नई बात होग


वो बिछड़ के हमसे ये दूरियां कर गई
न जाने क्यों ये मोहब्बत अधूरी कर गई
अब हमे तन्हाइयां चुभती है तो क्या हुआ
कम से कम उसकी सारी तमन्नाएं तो पूरी हो गई


मैंने कभी किसी को आज़माया नही
जितना प्यार दिया उतना कभी पाया नही
किसी को हमारी भी कमी महसूस हो
शायद खूदा ने मुझे ऐसा बनाया नहीं


वो बात क्या करें जिसकी कोई खबर ना हो
वो दुआ क्या करें जिसका कोई असर ना हो
कैसे कह दे कि लग जाय हमारी उमर आपको
क्या पता अगले पल हमारी उमर ना हो


ये किस मकाम पर जिंदगी मुझको लेके आ गयीं
ना बस खुशी पे है जहाँ, ना गम पे इख़्तियार हैं


जख़्म इतना गहरा हैं इज़हार क्या करें
हम ख़ुद निशां बन गये ओरो का क्या करें
मर गए हम मगर खुली रही आँखे हमरी
क्योंकि हमारी आँखों को उनका इंतेज़ार हैं


साँस थम जाती है पर जान नहीं जाती
दर्द होता है पर आवाज़ नहीं आती
अजीब लोग हैं इस ज़माने में ऐ दोस्त
कोई भूल नहीं पाता और किसी को याद नहीं आती


उन्हें चाहना हमारी कमजोरी है
उनसे कह नहीं पाना हमारी मज़बूरी है
वो क्यूँ नहीं समझते हमारी ख़ामोशी को
क्या प्यार का इजहार करना जरुरी है


दर्द को दर्द अब होने लगा है
दर्द अपने गम पे खुद रोने लगा है
अब हमें दर्द से दर्द नही लगेगा
क्योंकि दर्द हमको छू कर खुद सोने लगा है


जिंदगी हमारी यूं सितम हो गई
खुशी ना जानें कहां दफन हो गई
लिखी खुदा ने मुहब्बत सबकी तकदीर में
हमारी बारी आई तो स्याही खत्म हो गई


बर्बाद कर गए वो ज़िंदगी प्यार के नाम से
बेवफाई ही मिली हमें सिर्फ वफ़ा के नाम से
ज़ख़्म ही ज़ख़्म दिए उस ने दवा के नाम से
आसमान भी रो पड़ा मेरी मोहब्बत के अंजाम से


जान से ज्यादा प्यार उन्हें किया करते थे
याद उन्हें दिन रात किया करते थे
अब उन राहों से गुज़रा नहीं जाता
जहाँ बैठकर उनका इंतजार किया करते थे


महफ़िल में गले मिलके वो
धीरे से कह गए
ये दुनिया की रस्म है
इसे मोहब्बत न समझलेना


दुख का समा मुझे घेर लेता है
जब तेरी याद में ये पल भर के लिए होता है
ना जाने कब वो दिन आएगा
जब हर पल इस ज़िन्दगी का तेरे साथ गुजर जाएगा


जब रिश्ता नया होता है तो
लोग बात करने का बहाना ढ़ुंढ़ते है
और जब वही रिश्ता पुराना हो जाता है
तो लोग दूर होने का बहाना ढूढ़ते है


माना कि तू नहीं है मेरे सामने
पर तू मेरे दिल में बसता हैं
मेरे हर दुख में मेरे साथ होता है
और हर सुख में मेरे साथ हसता है


हमें कोई गम नहीं था गम ऐ आशिकी से पहले
न थी दुश्मनी किसीसे तेरी दोस्ती से पहले है
ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कुसूर इसमें
तेरे गम ने मार डाला मुझे जिंदगी से पहले


बिन बात के ही रूठने की आदत है
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है
आप खुश रहें, मेरा क्या है मैं तो आईना हूँ
मुझे तो टूटने की आदत है


लोग पूछते हैं क्यों सुर्ख हैं तुम्हारी आँखे
हंस के कह देता हूँ रात सो ना सका
लाख चाहूं मगर ये कह ना सकूँ
रात रोने की हसरत थी रो ना सका

जब भी आती है तेरी याद तो मुस्कुरा लेती हूँ,
कुछ पल के लिए ही सही सारे दुःख भुला लेती हूँ,
कैसे भीगेंगी तेरी ये आँखें, जब तेरे हिस्से के आँसू मैं बहा लेती हूँ

उदास होठो पे मुस्कराहट के पल
आये तो जान लेना
की दिल के अंदर कोई उदास
बहुत उदासी में ढल रही है।

दिल में तमनाओं को दबाना सीख लिया
गम को आँखों में छिपाना सीख लिया
मेरे चेहरे से कही कोई बात ज़ाहिर न हो
दबा के हाथों को हमने मुस्कुराना सिख लिया।

कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा
आँखों को देखा पर दिल के अंदर नहीं देखा
पत्थर समझते हे मुझे मेरे चाहने वाले
हम तो मोम थे किसी ने चुकार नहीं देखा

चेहरे की हंसी से अपने हर गाम छुपाओ
सब कुछ बोलो पर दर्द से दिल न बताओ
खुदा न रूठो कभी और सबको मनाओ
यही राज हे जिंदगी का बस जेते चले जाओ

कितनी आसानी से कह दिया तुमने
की बस अब तुम मुझे भूल जाओ
साफ़ साफ़ लफ्जो में कह दिया होता
की बहुत जी लिए अब तुम मर जाओ

इंसान जिंदगी में गलतियों करके
उतना दुखी नहीं होता हे , जितना
की वह बार बार उन गलतियों के
बारे में सोच कर होता हे

उतर के देख मेरी चाहत की गहराई में ,
सोचना मेरी बारे में रात की तन्हाई में ,
अगर हो जाये मेरी चाहत का एहसास तुम्हे ,
तो मिलेगी मेरा आक्स तुम्हे अपनी ही परछाई में

टूटकर बिखर जाते है वो लोग
मिटटी की दिवारों की तरह
जो खुद से भी ज्यादा
किसी और से प्यार करते है

हमें कोई गम नहीं था गम ऐ आशिकी से पहले
न थी दुश्मनी किसीसे तेरी दोस्ती से पहले है
ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कुसूर इसमें
तेरे गम ने मार डाला मुझे जिंदगी से पहले
