मोटिवेशनल शायरी 2020 | motivational shayari in hindi 2020

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Motivational Shayari in Hindi 2020

थोड़ा धीरज रख,
थोड़ा और जोर लगाता रह !!
किस्मत के जंग लगे दरवाजे को,
खुलने में वक्त लगता है !

साथ नहीं रहने से रिश्ते नहीं टूटा करते,
वक्त की धुंध से लम्हे नहीं टूटा करते…
लोग कहते है मेरा सपना टूट गया,
टूटी नींद है सपने नहीं टुटा करते…!!

जो चल रहा है उसके पाँव में ज़रूर छाला होगा,
बिना संघर्ष के चमक नहीं मिलती
जो जल रहा है तिल-तिल, उसी दीए में उजाला होगा…

निगाहों में मंजिल थी
गिरे और गिरकर संभलते रहे
हवाओं ने बहुत कोशिश की
मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे

होके मायूस ना आँगन से उखाड़ो ये पौधे
धूप बरसी है यहाँ तो बारिश भी यही पे होगी।।

जिंदगी में कभी उदास ना होना
कभी किसी बात पर निराश ना होना
ये जिंदगी एक संघर्ष है चलती ही रहेगी
कभी अपने जीने का अंदाज ना खोना

अगर सीखना है दिए से तो जलना नहीं, मुस्कुराना सीखो
अगर सीखना है सूर्य से तो डूबना नहीं उठना सीखो
अगर पहुंचना हो शिखर पर तो राह पर चलना नहीं
राह का निर्माण सीखो

नजर को बदलो तो नजारे बदल जाते हैं
सोच को बदलो तो सितारे बदल जाते हैं
कश्तियाँ बदलने की जरूरत नहीं
दिशा को बदलो किनारे खुद ब खुद बदल जाते हैं

अगर अब भी खून ना खौला
तो खून नहीं वो पानी है
जो जवानी अपने देश और माँ बाप के काम ना आए
बेकार वो जवानी है

पानी में तस्वीर बना सकते हो तुम
कलाम को शमशेर बना सकते हो तुम
कायर हैं जो तकदीर पे रोते हैं
जैसी चाहो वैसी तकदीर बना सकते हो तुम

मंजिल उन्हीं को मिलती है
जिनके सपनों में जान होती है
पंखों से कुछ नहीं होता
हौसलों से उड़ान होती है

मिल ही जाएगी मंजिल भटकते भटकते
गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं

मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है
हर पहलू जिंदगी का इम्तिहान होता है
डरने वालों को मिलता नहीं कुछ जिंदगी में
लड़ने वालों के कदमों में जहान होता है

अपनी जमीन अपना नया आसमान पैदा कर
मांगने से जिंदगी कब मिली है ऐ दोस्त
खुद ही अपना नया इतिहास पैदा कर

सफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो
कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

बुझी शमां भी जल सकती है
तूफान से कश्ती भी निकल सकती है
होके मायूस यूं ना अपने इरादे बदल
तेरी किस्मत कभी भी बदल सकती है

गम के अंधेरों में खुद को बेकरार ना कर
सुबह जरूर आएगी
सुबह का इंतजार कर

देखकर दर्द किसी का जो आह निकल जाती है,
बस इतनी से बात आदमी को इंसान बनाती है ।

जरुरी नहीं की हर समय लबों पर खुदा का नाम आये,
वो लम्हा भी इबादत का होता है जब इंसान किसी के काम आये।

रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ,
ऐ मुश्किलों! देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।

अपनी उलझन में ही अपनी, मुश्किलों के हल मिले ,
जैसे टेढ़ी मेढ़ी शाखों पर भी रसीले फल मिले ,
उसके खारेपन में भी कोई तो कशिश जरुर होगी,
वर्ना क्यूँ जाकर सागर से यूँ गंगाजल मिले ।

ताल्लुक़ कौन रखता है किसी नाकाम से लेकिन,
मिले जो कामयाबी सारे रिश्ते बोल पड़ते हैं,
मेरी खूबी पे रहते हैं यहां, अहल-ए-ज़बां ख़ामोश,
मेरे ऐबों पे चर्चा हो तो, गूंगे बोल पड़ते हैं।

पूछता है जब कोई दुनिया में मोहब्बत है कहाँ,
मुस्करा देता हूँ और याद आ जाती है माँ।

भरे बाजार से अक्सर ख़ाली हाथ ही लौट आता हूँ,
पहले पैसे नहीं थे अब ख्वाहिशें नहीं रहीं।

ज़मीर जिन्दा रख, कबीर जिंदा रख,
सुल्तान भी बन जाये तो, दिल में फ़कीर जिंदा रख,
हौसले के तरकश में कोशिश का वो तीर जिंदा रख,
हार जा चाहे जिंदगी में सब कुछ,
मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिंदा रख।

अपनों के दरमियां सियासत फ़िजूल है
मक़सद न हो कोई तो बग़ावत फ़िजूल है।
​​रोज़ा, नमाज़, सदक़ा-ऐ-ख़ैरात या हो हज
माँ बाप ना खुश हों, तो इबादत फ़िजूल है।

ये मंजिलें बड़ी जिद्दी होती हैं, हासिल कहां नसीब से होती हैं।
मगर वहां तूफान भी हार जाते हैं, जहां कश्तियां जिद्द पे होती हैं।।

जिसकी सोच में खुद्दारी की महक है,
जिसके इरादों में हौसले की मिठास है,
और जिसकी नियत में सच्चाई का स्वाद है,
उसकी पूरी जिन्दगी महकता हुआ गुलाब है।

कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ,
कि खुदा नूर भी बरसाता है … आज़माइशों के बाद!!

जरूरी नही कुछ तोडने के लिये पथ्थर ही मारा जाए ।
लहजा बदल के बोलने से भी बहोत कुछ टूट जाता है ।।

यूँ असर डाला है मतलब-परस्ती ने दुनिया पर कि,
हाल भी पूछो तो लोग समझते हैं, कोई काम होगा ।

जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है ,
कभी हँसाती है तो कभी रुलाती है ,
पर जो हर हाल में खुश रहते हैं ,
जिंदगी उन्ही के आगे सर झुकाती है।

जिसने कहा कल, दिन गया टल,
जिसने कहा परसों,बीत गए बरसो
जिसने कहा आज, उसने किया राज।

ताउम्र बस एक ही सबक याद रखिये,
दोस्ती और इबादत में नीयत साफ़ रखिये।

भटके हुओं को जिंदगी में राह दिखलाते हुए,
हमने गुजारी जिंदगी दीवाना कहलाते हुआ।

वो मस्जिद की खीर भी खाता है और मंदिर का लड्डू भी खाता है ,
वो भूखा है साहब इसे मजहब कहाँ समझ आता है।

हजारों ऐब हैं मुझमे, न कोई हुनर बेशक,
मेरी खामी को तुम खूबी में तब्दील कर देना,
मेरी हस्ती है एक खारे समंदर से मेरे दाता,
अपनी रहमतों से इसे मीठी झील कर देना।

झूठा अपनापन तो हर कोई जताता है,
वो अपना ही क्या जो पल पल सताता है,
यकीं न करना हर किसी पर क्यूंकि,
करीब कितना है कोई यह तो वक्त बताता है ।

मुझे तैरने दे या फिर बहाना सिखा दे,
अपनी रजा में अब तू रहना सिखा दे,
मुझे शिकवा न हो कभी किसी से, हे ईश्वर,
मुझे सुख और दुःख के पर जीना सिखा दे।

पंछी ने जब जब किया पंखों पर विश्वास,
दूर दूर तक हो गया उसका ही आकाश।

जमीन जल चुकी है आसमान बाकि है ,
वो जो खेतों की मदों पर उदास बैठे हैं,
उन्ही की आँखों में अब तक ईमान बाकि है ,
बादलों अब तो बरस जाओ सूखी जमीनों पर ,
किसी का घर गिरवी है और किसी का लगान बाकि है ।

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